Add To collaction

लेखनी कहानी -02-Dec-2023 कविता

*प्रेम की आशा*

आशा के बीच छुपी निराशा
जिसमें लगी है दिल की आशा ।

निराशा में फंसी कश्ती गुमनाम की तरह
मन नहीं लगता गुलशन जप नाम की तरह
मिल जाना तुम वफ़ा कि नुमासिस लगी है
वादीयों की हसीं बहारों में गुलफाम की तरह ।

जिसमें लगी मेरी आशा हो
निराशा में समाई भाषा हो ।

बुराइयों का अंजाम भी बुरा ही होता है
रहनुमाओं को उठा दर्द भी घाव होता है ।
उसने आबाद कर दी है हुस्न की महफ़िल
तूफान से जो न निकले अंजाम बुरा होता है ।

 उसी से लगी मेरी आशा है
 समझे वो प्यार की भाषा है

सलाखों में करते गुफ्तगू किसी की नादानी है 
फंसी सलाखों के बीच   उलझना शैतानी है 
गगन में भी वह किसी मेहमान सा रहता है
सितारों से भरा नभ चाँद की मेहरवानी है ।

जिसमें बह चली घोर निराशा 
उसी में छुपी प्रेम की आशा ।

     ,*के,के,कौशल*,
 इन्दौर, मध्यप्रदेश

   5
3 Comments

Gunjan Kamal

03-Dec-2023 06:44 PM

👌

Reply

सुन्दर सृजन

Reply

Varsha_Upadhyay

02-Dec-2023 08:26 PM

Nice

Reply